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रविवार, 30 दिसंबर 2012

नवगीत: न्याय चाहिये - ओम प्रकाश तिवारी

नवगीत:
न्याय चाहिये
- ओम प्रकाश तिवारी
*
महामहिम जी,
न्याय चाहिए

लाठी-गोली पुलिस की टोली
नेताओं की मीठी बोली
पानी की वो तेज फुहारें
आँसू गैस खून
की होली

ऐसे जुल्म जबर्दस्ती का
अब हमको पर्याय
चाहिए

कभी कोख में मरना पड़ता
कभी-खाप-को-सुनना-पड़ता
महानगर की सड़कों पर भी
डर-डर के है चलना
पड़ता

घिसे पिटे पाठों से हटकर
एक नया अध्याय
चाहिए

करके जुल्म छूटते कामी
मिलती है हमको बदनामी
लाचारी कानून दिखाए
लोग निकालें
मेरी खामी


बहुत हुई असहाय व्यवस्था
अब तो कोई उपाय
चाहिए

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