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बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

तेवरी ही तेवरी संजीव 'सलिल'

तेवरी
दिल के घाव
संजीव  'सलिल'
*

ताज़ा-ताज़ा दिल के घाव।
सस्ता हुआ नमक का भाव।।

मंझधारों-भंवरों को पार,
किया किनारे डूबी नाव।।

सौ चूहे खाने के बाद
सत्य-अहिंसा का है चाव।।

ताक़तवर के चूम कदम
निर्बल को दिखलाया ताव।।

ठण्ड भगाई नेता ने
जला झोपडी, बना अलाव।।

डाकू तस्कर चोर खड़े
मतदाता क्या करे चुनाव?

नेता रावण, जन सीता
कैसे होगा सलिल निभाव?

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