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शनिवार, 18 मई 2013

bundeli geet aa khen sehar acharya sanjiv verma 'salil'

बुन्देली गीत;
संजीव
*
आ खें सेहर गाँव पछता रओ,
नाहक  मन खों चैन गँवा दओ....
*
छोर खेत-खलिहान आओ थो,
नैनों  मां सपना सजाओ थो।
सेहर आओ तो छूटे अपने,
हाय राम रे! टूटे सपने।
धोखा दें खें, धोखा खा रओ....
*
दूनो काम, मजूरी आधी,
खाज-कोढ़ मां रिस्वत ब्याधी।
सुरसा कहें मूं सी मंहगाई-
खुसियाँ जैसे नार पराई।
आपने साए से कतरा रओ....
*
राह हेरती घर मां तिरिया,
रोत हटी बऊ आउत बिरिया।
कब लौं बहले बिटिया भोली?
खुद  सें खुद ही आँख चुरा रओ....
***
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in


2 टिप्‍पणियां:

kusum vir ने कहा…

Kusum Vir via yahoogroups.com

बहुत ही रोचक और मनभावन बुन्देली गीत, आ० सलिल जी l
कुसुम वीर

kanu vankoti ने कहा…

Kanu Vankoti

संजीव भाई, मनोहर गीत के लिए ढेर तालियाँ ...

सादर,
कनु