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शुक्रवार, 17 मई 2013

english poetry quatren poem in hindi sanjiv

अंग्रेजी काव्य विधा
चतुश्पदिक कविता / क्वाट्रेन पोयम 
संजीव
*
सिर्फ समय की बलिहारी है
कोई इससे पार न पाया।
पौआ अद्धे पर भारी है
पाया थोडा बहुत गँवाया।।
नर पर दो मात्रा भारी है
जैसा चाह नाच नचाया।
जुबां तेज चलती आरी है
ईश्वर ने भी शीश नवाया।।
ममता से सुरभित क्यारी है
सारी दुनिया को महकाया।
हुई रुष्ट तो दोधारी है
समझो प्रलय सामने आया।।
***
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in

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