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शनिवार, 1 जून 2013

bhajan (davotinal lyric) acharya sanjiv verma 'salil'



भजन:

संजीव
*
प्रभु! स्वीकारो करूँ  नमन शत...
*
हम मृण्मय मानव हैं माना,
आदत गलती कर पछताना.
पहले काम करें मनमाना-
दोष तुझे फिर देते नाना.
अब न करेंगे कोई बहाना,
जाने बस तेरा जस गाना.
प्रभु! हमसे क्रोधित होना मत 
प्रभु! स्वीकारो करूँ  नमन शत...
*
तुम बिन माटी है सारा जग,
चाह रही मन की मन को ठग.
कौन बताये चलना किस मग?
उठें न तुम तक जा पायें पग.
पिंजरा आस, विकल प्यासा खग-
हिम्मत नहीं बढ़ें रखकर डग.  
प्रभ!  विनती तुम ही राखो पत.
प्रभु! स्वीकारो करूँ  नमन शत...
*
अपने मैं से खुद ही हारा,
फिरता दर-दर हो बेचारा.
पर-संपति को ललच निहारा,
दौड़-गिरा फिर तका सहारा.
जाना है तज सकल पसारा।
तुझको अब तक रहा बिसारा.
प्रभु! पा लूँ तुमको दो हिम्मत  
प्रभु! स्वीकारो करूँ  नमन शत...
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in

9 टिप्‍पणियां:

Shriprakash Shukla ने कहा…

Shriprakash Shukla via yahoogroups.com

आदरणीय आचार्य जी,

अति सुन्दर । सच्चे ह्रदय की पुकार है अवश्य सुनी जायेगी ।

सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल

achal verma ने कहा…

achal verma

इस विनती में जोर है इतना, प्रभु तो दूर न रह पायेगा
ढूँढ रहा है भगत तु जिसको, वही ढूढता पास आयेगा ॥....अचल ....

indira pratap ने कहा…

संजीव भाई
बहुत बहुत सुन्दर, कोई इनकी धुन बनाए| दिद्दा

deepti gupta ने कहा…

deepti gupta via yahoogroups.com

*=D> applause *=D> applause *=D> applause
ब्रह्मा , विष्णु, महेश तीनों देवता आपके सृजन से प्रसन्न होकर करतल ध्वनि से साधुवाद कर रहे हैं !

सादर,
दीप्ति

indira pratap ने कहा…

Indira Pratap via yahoogroups.com

सुन्दर भजन ,

sanjiv ने कहा…

sanjiv verma salil

अहोभाग्य किनती अब तक दो ही देवियाँ प्रगट हुई हैं, तीसरी?

indira pratap ने कहा…

Indira Pratap via yahoogroups.com

तीसरी अभी ए. सी. में सो रही है , इन्तजार और अभी | दिद्दा

shardula naugaza ने कहा…

shar_j_n

आदरणीय आचार्य जी ,
सुन्दर!
सदर शार्दुला

kusum vir ने कहा…

Kusum Vir via yahoogroups.com

आचार्य जी,
सरस, भक्तिमय, प्रीतमय, आध्यात्मपूर्ण ईश वंदना मन को प्रभु के प्रेम रस में भिगो गई l
बहुत साधुवाद l
सादर,
कुसुम वीर