दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
8 टिप्पणियां:
Mukesh Srivastava
आश्चर्यजनक , ऐसे चमत्कार प्रकृति में भरे पड़े हैं कि उन्हें देखकर भगवान को सबसे बड़ा जादूगर कहने का मन होता है .
मुकेश
Kusum Vir via yahoogroups.com
अत्यंत आश्चर्यमय l
कुसुम वीर
mcdewedy@gmail.com
दीप्ति जी- नारीलता से परिचय कराने हेतु आभार
महेश चंद्र द्विवेदी./ नीरजा द्विवेदी
अविश्वसनीय किन्तु सच
बहुत खूब ! पहली बर ऐसे फूल देख रहा हूँ ..............कमाल
शिशिर
मैं तो हैरत में हूँ कि कैसा वृक्ष है , इस पर कविता रची जाए . कुदरत का करिश्मा..............
Kanu Vankoti
ऐसे अद्भुत फूल २० के अंतराल के बाद खिले, कोई आश्चर्य नहीं .
कनु
नियति नटी या प्रकृति सुंदरी नहीं कल्पना मात्र है
नारी लता प्रमाण-साक्ष्य है, अविनाशी यह गात्र है
नर सम्हले, है वृक्ष न कोई जिसका उसे सहारा है
नारी ने ही नर को दिया सहारा, उठा-उबारा है
kab ye pusp niklega jarur btae
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