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शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

veer chhand: deewali par -sanjiv


वीर छंद
दीवाली पर:
संजीव
*
दीवाली पर दीप जले शत, कोने में दुबका अँधकार
स्नेह-दीप सब 'सलिल' जलायें, 'मावस पूनम सम उजियार
मिटे मलिनता बढ़े स्वच्छता, रंग-बिरंगा हो संसार
खील-बताशे, खेल-खिलौने, खूब बढ़े हर कारोबार
*
धूम्र-धुआँ-ध्वनि दूषण कम हो, खुशियाँ खूब बढ़ें चहुँ ओर
जो साधन संपन्न देख लें, दुखी न हों निर्धन-कमजोर
दीवाली हो हर कुटिया में, उजली हो हर घर में भोर
विद्युत् अपव्यय न्यून करें हम, कहीं न हो कोई कमजोर
*
श्रम कर अर्जित करें लक्ष्मी, श्री गणेश हों तभी प्रसन्न
संस्कार बिन केवल धन हो, जिस घर में वह रहे विपन्न
राष्ट्रलक्ष्मी रोजगार-कृषि-उद्यम, उत्पादन, खाद्यान्न
'सलिल' मने दीवाली अनुपम, संकट कोई न हो आसन्न
*
देश-हितों का ध्यान रखें सब, तभी मने सच्चा त्यौहार
शांति-व्यवस्था, न्याय-सुशासन, जनहितकारी हो सरकार
घर-घर दीपक करे उजाला, दस दिश में मेटे अंधियार
मति-गणेश हर विघ्न हर सके, गृहलक्ष्मी जीवन उजियार
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facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

2 टिप्‍पणियां:

Yograj Prabhakar ने कहा…

Yograj Prabhakar

Lajawaab chhand aadrneey Acharya Sanjiv Verma 'salil' jee,

Kusum Vir ने कहा…

Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com

आदरणीय आचार्य जी,
सर्व हितकारी, सर्व मंगलकारी एवं सर्वोपयोगी वीर छंद की प्रस्तुति के लिए अनेकानेक बधाई एवं शुभकामनाएँ l
सादर,
कुसुम वीर