कुल पेज दृश्य

शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

chhand salila: nit chhand -sanjiv

​​छंद सलिला:
नित छंद
 
संजीव  
*
दो पदी, चार चरणीय, १२ मात्राओं के मात्रिक नित छंद में चरणान्त में रगण, सगण या नगण होते हैं.
उदाहरण:
१. नित जहाँ होगा नमन, सत
वहाँ होगा रसन
   राशियाँ ले गंग जल, कर रहीं हँस आचमन 
२. जां लुटाते देश पर, जो वही होते अमर 
   तिरंगा जब लहरता, गीत गाता आसमां 
३. नित गगन में रातभर, खेलते तारे नखत
    निशा सँग शशि नाचता, देखकर नभ विहँसता
                                                        *
१. लक्षण संकेत: नित = छंद का नाम, रसन = चरणान्त में रगण, सगण या नगण, राशियाँ = १२ मात्रायें
(अब तक प्रस्तुत छंद: अग्र, अचल, अचल धृति, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, एकावली, कीर्ति, घनाक्षरी, छवि,
​जाया, ​
तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रेमा, बाला, मधुभार, माया, माला, ऋद्धि, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)
                                             *********

कोई टिप्पणी नहीं: