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गुरुवार, 29 मई 2014

charcha: rashtreey sarkar

चर्चा :

क्या चुनाव में दलीय स्पर्धा से उपजी कड़वाहट और नेताओं में दलीय हित को राष्ट्रीय  हित पर वरीयता देने को देखते हुए राष्ट्रीय सरकार भविष्य में अधिक उपयुक्त होगी?

संविधान नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने देता है. दलीय उम्मीदवार को दल से इतनी सहायता मिलती है की आम आदमी उम्मीदवार बनने का सोच भी नहीं सकता। 
स्वतंत्रता के बाद गाँधी ने कांग्रेस भंग करने की सलाह दी थी जो कोंग्रेसियों ने नहीं मानी, अटल जी ने प्रधान मंत्री रहते हुए राष्ट्रीय सरकार की बात थी किन्तु उनके पास स्पष्ट बहुमत नहीं था और सहयोगी दलों को उनकी बात स्वीकार न हुई. क्यों न इस बिंदु के विविध पहलुओं पर चर्चा हो. 
   
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

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