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गुरुवार, 15 मई 2014

chhand salila: saaras chhand -sanjiv


छंद सलिला:   ​​​

सारस /  छंद ​

संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति १२-१२, चरणादि विषमक़ल तथा गुरु, चरणांत लघु लघु गुरु  (सगण) सूत्र- 'शांति रखो शांति रखो
शांति रखो शांति रखो'
विशेष: साम्य- उर्दू बहर 'मुफ़्तअलन मुफ़्तअलन मुफ़्तअलन मुफ़्तअलन' 

लक्षण छंद:
  
सारस मात्रा गुरु हो, आदि विषम ध्यान रखें 
   बारह-बारह यति गति, अन्त सगण जान रखें      
उदाहरण:

१.  सूर्य कहे शीघ्र उठें,
भोर हुई सेज तजें
    दीप जला दान करें, राम-सिया नित्य भजें 
    शीश झुका आन बचा, मौन रहें राह चलें
    साँझ हुई काल कहे, शोक भुला आओ ढलें
    
 
२. पाँव उठा गाँव चलें, छाँव मिले ठाँव करें 
    आँख मुँदे स्वप्न पलें, बैर भुला मेल करें
    धूप कड़ी झेल सकें, मेह मिले खेल
करें
    ढोल बजा नाच सकें, बाँध भुजा पीर हरें
  
३. क्रोध न हो द्वेष न हो, बैर न हो भ्रान्ति तजें 
    चाह करें वाह करें, आह भरें शांति भजें
    नेह रखें प्रेम करें, भीत न हो कांति वरें
    आन रखें मान रखें, शोर न हो क्रांति करें


                   *********

(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सुखदा, सुगति, सुजान, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

2 टिप्‍पणियां:

Kusum Vir ने कहा…

Kusum Vir kusumvir@gmail.com [ekavita]

बहुत सुन्दर, आचार्य जी l
सादर,
कुसुम

sanjiv ने कहा…

​कुसुम जी
आपका धन्यवाद ​