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सोमवार, 19 मई 2014

chhand salila: shobhan / sinhika chhand -sanjiv


छंद सलिला:   ​​​

 शोभन / सिंहिका  छंद ​

संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति अवतारी, प्रति चरण मात्रा २४ मात्रा, यति चौदह-दस, पदांत लघु-गुरु-लघु (जगण) 


लक्षण छंद:
  जनमत का जयघोष सुनें, नेता हो चुप आज
  चौदह विद्या दसों कला, सजे सिर पर ताज
 
उदाहरण: 
१. गहन तिमिर पश्चात हुआ, नील नभ रतनार
  नववधु ऊषा लाल हुई, सूर्य पर दिल हार
  छाया सौतन द्वेष करे, हृदय में रख डाह
  लख सोलह सिंगार हुई, राख के सम स्याह 


२. पराजित होकर हुए, नेता विकल मौन
    जनशक्ति की अनुभूति कर, हाय! बेबस मौन  
    आज सच को भूलना मत, 'सलिल' मत कर माफ़

    दुबारा अवसर न देना, रहे निज मन साफ़ 

३. हिन्द सा जग में न कोई, अन्य पावन देश 
   समर्पित हों देश के प्रति, खास- आम विशेष
   परिश्रम निश-दिन करें हम, रहे कसर न लेश
   नित नयी मंज़िल छुएँ मिल, लक्ष्य वर अशेष                  
                              *********  
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)

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