कुल पेज दृश्य

सोमवार, 4 अगस्त 2014

doha salila: kuchh dohe barsat ke... -sanjiv

चित्र पर कविता:
संजीव
*

चित्र: सुमन कपूर 

मेघदूत संदेश ले, आये भू के द्वार 
स्नेह-रश्मि पा सु-मन हँस, उमड़े बन जल-धार    

*
पल्लव झूमे गले मिल, कभी करें तकरार
कभी गले मिलकर 'सलिल', करें मान मनुहार 
*
आदम दुबका नीड़ में, हुआ प्रकृति से दूर 
वर्षा-मंगल भूलकर, कोसे प्रभु को सूर 

कोई टिप्पणी नहीं: