नवगीत:
असत कथा को
सत्य नारायण
कह बाँचे पंडित
जो पढ़ता पंडित
कब करता?
बिना भोग कब
देव पिघलता?
महिमा गाते
जिन मूल्यों की
आप करें खंडित
नहीं तनिक
है शेष विराग
विधवा मन
पर चाह सुहाग
वैदिक सच तज
क्यों पुराण में
असत हुआ मंडित
*
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