नवगीत:
विश्व मंच पर
गूंजे हैं
फिर हिंदी के बोल
अंग्रेजी का मोह छोड़कर
प्रतिबंधों का बंध तोड़कर
बनी बनाई लीक मोड़कर
प्रतिरोधों से सतत होड़कर
अपनी बात
विचार अलग
खुलकर कह पर तोल
अटल-नरेंद्र न क्रम अब टूटे
अंग्रेजी का मोह न लूटे
हिंदी हार न छाती कूटे
हिंदी का ध्वज उड़े न टूटे
परदेशी भाषा
सौतन सी जिसका
तनिक न मोल
आस निराश न होने देना
देश उठे खा चना-चबेना
हर दिन नूतन सपने सेना
भाषा नहीं गैर की लेना
स्वागत करना
सदा स्वदेशी ही
वरना दिल खोल
***
विश्व मंच पर
गूंजे हैं
फिर हिंदी के बोल
अंग्रेजी का मोह छोड़कर
प्रतिबंधों का बंध तोड़कर
बनी बनाई लीक मोड़कर
प्रतिरोधों से सतत होड़कर
अपनी बात
विचार अलग
खुलकर कह पर तोल
अटल-नरेंद्र न क्रम अब टूटे
अंग्रेजी का मोह न लूटे
हिंदी हार न छाती कूटे
हिंदी का ध्वज उड़े न टूटे
परदेशी भाषा
सौतन सी जिसका
तनिक न मोल
आस निराश न होने देना
देश उठे खा चना-चबेना
हर दिन नूतन सपने सेना
भाषा नहीं गैर की लेना
स्वागत करना
सदा स्वदेशी ही
वरना दिल खोल
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