नवगीत:
कमललोचना मैया!
खुश हो
मची कमल की धूम
जनगण का
जनमत आया है
शतदल
सबके मन भाया है
हाथी दूरी
पाल कमल से
मन ही मन
रो-पछताया है
ज्योतिपर्व के पूर्व
पटाखे फूटे
बम बम बूम
हँसिया गया
हाशिये पर
नहीं साथ में धान
पंजा झाड़ू थाम
सफाई करे गँवाया मान
शिव-सेना का
अमल कमल ने
तोड़ दिया अभिमान
नर-नर जब होता
नरेंद्र तब
यश लेता नभ चूम
जो तुमको
रखकर विदेश में
देते काला नाम
उनसे रूठी
भाग्य लक्ष्मी
हुआ विधाता वाम
काम सभी को
प्यारा होता
अधिक न भाये चाम
दावे कब
मिट जाएँ धूल में
किसको है मालूम
***
कमललोचना मैया!
खुश हो
मची कमल की धूम
जनगण का
जनमत आया है
शतदल
सबके मन भाया है
हाथी दूरी
पाल कमल से
मन ही मन
रो-पछताया है
ज्योतिपर्व के पूर्व
पटाखे फूटे
बम बम बूम
हँसिया गया
हाशिये पर
नहीं साथ में धान
पंजा झाड़ू थाम
सफाई करे गँवाया मान
शिव-सेना का
अमल कमल ने
तोड़ दिया अभिमान
नर-नर जब होता
नरेंद्र तब
यश लेता नभ चूम
जो तुमको
रखकर विदेश में
देते काला नाम
उनसे रूठी
भाग्य लक्ष्मी
हुआ विधाता वाम
काम सभी को
प्यारा होता
अधिक न भाये चाम
दावे कब
मिट जाएँ धूल में
किसको है मालूम
***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें