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मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014

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नवगीत:

कहें दिवाली
करें दिवाला

पथरा गए रे नैन
मेघ की बाट जोहते
बरसो नई या
मूसलधार बरस गौ बैरी
नैहर डूबो
हियाँ सासरे में सूखो रे

आँखमिचौली
खेले बिजुरी 
नेताओं खों
मिला मसाला

छुई सें पोत लई
गोबर सें लीपी बाखर
मुन्नू भरी बस्ता
ले गओ सीखें आखर
लाई-बतेसा लाई 
दिया, गनेस-लच्छमी

तनक उजेरा
भोत अँधेरा
बहा पसीना
मिले निवाला

***

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