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बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

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नवगीत:  

पधारो,
रमा! पधारो 

ऊषा से 
ले ताजगी 
सरसिज से 
ले गंध 
महाकाल से  
अभय हो  
सत-शुभ से 
अनुबंध  

निहारो,
सदय निहारो 
*
मातु! गुँजा दो 
सृष्टि में शाश्वत 
अनहद नाद 
विधि-हरि-हर 
रिधि-सिद्धि संग 
सुन मेरी फरियाद

विराजो!
विहँस विराजो 
*
शक्ति-शारदा 
अमावस 
पूनम जैसे साथ 
सत-चित-आनंद 
वर सके
सत-शिव-सुंदर पाथ 

सँवारो 
जन्म सँवारो 
*

1 टिप्पणी:

Mahesh Dewedy mcdewedy@gmail.com ने कहा…

Mahesh Dewedy mcdewedy@gmail.com

बधाई सलिल जी.

महेश चंद्र द्विवेदी