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शनिवार, 22 नवंबर 2014

navgeet:

नवगीत:

बग्घी बैठा
सठियाया है समाजवादी

हिन्दू-मुस्लिम को लड़वाए
अस्मत की धज्जियाँ उड़ाए
आँसू सिसकी चीखें नारे
आश्वासन कथरी लाशों पर
सत्ता पाकर
उढ़ा रहा है समाजवादी

खुद बीबी साले बेटी को
सत्ता दे, चाहे हेटी हो
घपलों-घोटालों की जय-जय
कथनी-करनी में अंतर कर
न्यायालय से
सजा पा रहा समाजवादी

बना मसीहा झाड़ू थामे
गाल बजाये, लाज न आए
कुर्सी मिले छोड़कर भागे
पाक साफ़ खुद को बतलाये
सपना देखे
ठोकर खाए समाजवादी

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