दोहा:
माटी से माटी मिले, माटी ले आकार
माटी में पल खेल मिल, स्वप्न करे साकार. २००६
सब सुरेश को महाबली, कहते आये मीत
शक्ति-भक्ति, अनुरक्ति से, बल पाते है रीत
थकित-तृषित मन चल विहँस, अब दर्शन के गाँव
धन्य हो सके प्राण-मन, तन चाहे कुछ छाँव
माटी से माटी मिले, माटी ले आकार
माटी में पल खेल मिल, स्वप्न करे साकार. २००६
सब सुरेश को महाबली, कहते आये मीत
शक्ति-भक्ति, अनुरक्ति से, बल पाते है रीत
थकित-तृषित मन चल विहँस, अब दर्शन के गाँव
धन्य हो सके प्राण-मन, तन चाहे कुछ छाँव
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