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शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

doha

दोहा:
माटी से माटी मिले, माटी ले आकार
माटी में पल खेल मिल, स्वप्न करे साकार. २००६

सब सुरेश को महाबली, कहते आये मीत
शक्ति-भक्ति, अनुरक्ति से, बल पाते है रीत

थकित-तृषित मन चल विहँस, अब दर्शन के गाँव
धन्य हो सके प्राण-मन, तन चाहे कुछ छाँव


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