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बुधवार, 8 जून 2016

muktika

मुक्तिका 
ज़ख़्म गैरों को दिखाते क्यों हो?
गैर अपनों को बनाते क्यों हो??
*
आबले पैर की ताकत कहकर 
शूल-पत्थर को डराते क्यों हो??
*
गले लग जाओ, नहीं मुँह मोड़ो
आँखों से आँख चुराते क्यों हो?? 
*
धूप सहता है सिरस खिल-खिलकर 
आग छिप उसमें लगाते क्यों हो??
*
दूरियाँ दूर ना करना है तो 
पास तुम मुझको बुलाते क्यों हो??
***
७-८ जून २०१६

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