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मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

janmdin

हास्य कविता:

जन्म दिन

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पत्नी जी के जन्म दिवस पर, पति जी थे चुप-मौन.
जैसे उन्हें न मालुम है कुछ, आज पधारा कौन? 

सोचा तंग करूँ कुछ, समझीं पत्नी: 'इन्हें न याद. 
पल में मजा चखाती हूँ, भूलेंगे सारा स्वाद'..

बोलीं: 'मैके जाती हूँ मैं, लेना पका रसोई. 
बर्तन करना साफ़, लगाना झाड़ू, मदद न कोई..'

पति मुस्काते रहे, तमककर की पूरी तैयारी. 
बाहर लगीं निकलने तब पति जी की आयी बारी..

बोले: 'प्रिय! मैके जाओ तुम, मैं जाता ससुराल.
साली-सासू जी के हाथों, भोजन मिले कमाल..'

पत्नी बमकीं: 'नहीं ज़रूरत तुम्हें वहाँ जाने की. 
मुझको पता पता है, छोडो आदत भरमाने की..'

पति बोले: 'ले जाओ हथौड़ी, तोड़ो जाकर ताला.'
पत्नी गुस्साईं: 'ताला क्या अकल पे तुमने डाला?'

पति बोले : 'बेअकल तभी तो तुमको किया पसंद.'
अकलवान तुम तभी बनाया है मुझको खाविंद..''

पत्नी गुस्सा हो जैसे ही घर से बाहर  निकली. 
द्वार खड़े पीहरवालों को देख तबीयत पिघली..

लौटीं सबको ले, जो देखा तबियत थी चकराई. 
पति जी केक सजा टेबिल पर रहे परोस मिठाई..

'हम भी अगर बच्चे होते', बजा रहे थे गाना. 
मुस्काकर पत्नी से बोले: 'कैसा रहा फ़साना?' 

पत्नी झेंपीं-मुस्काईं, बोलीं: 'तुम तो मक्कार.'
पति बोले:'अपनी मलिका पर खादिम है बलिहार.' 

साली चहकीं: 'जीजी! जीजाजी ने मारा छक्का. 
पत्नी बोलीं: 'जीजा की चमची! यह तो है तुक्का..'

पति बोले: 'चल दिए जलाओ, खाओ-खिलाओ केक. 
गले मिलो मुस्काकर, आओ पास इरादा नेक..

पत्नी घुड़के: 'कैसे हो बेशर्म? न तुमको लाज.
जाने दो अम्मा को फिर मैं पहनाती हूँ ताज'.. 

पति ने जोड़े हाथ कहा:'लो पकड़ रहा मैं कान.
ग्रहण करो उपहार सुमुखी हे! रहे जान में जान..'

***
१६-१०-२०१० 
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil' 

1 टिप्पणी:

कविता रावत ने कहा…

पति ने जोड़े हाथ कहा:'लो पकड़ रहा मैं कान.
ग्रहण करो उपहार सुमुखी हे! रहे जान में जान..'
..ये हुयी न बात ....
जन्मदिन की हार्दिक बधाई!