tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post5240601407904942964..comments2024-03-02T15:49:04.728+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : chhand salila: pratibha chhand -sanjivDivya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-2667893011722700922014-05-10T07:52:12.562+05:302014-05-10T07:52:12.562+05:30बंधुवर। आपका स्वागत है. कृपया, इन छंदों को देखते ...बंधुवर। आपका स्वागत है. कृपया, इन छंदों को देखते रहिये। त्रुटि होने पर अवश्य बतायें। sanjivnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-52427846730912300852014-05-10T07:51:44.665+05:302014-05-10T07:51:44.665+05:30Amitabh Tripathi द्वारा yahoogroups.com
आदरणीय ...Amitabh Tripathi द्वारा yahoogroups.com <br /> <br />आदरणीय आचार्य जी,<br />एक नए छंद से परिचय कराने के लिए आभार!<br />सादर<br />अमितamitabh tripathinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-3536861530309533102014-05-10T07:51:10.200+05:302014-05-10T07:51:10.200+05:30कुसुम जी, कमल जी
आप दोनों का आभार।
स्वनामधन्य प्रस...कुसुम जी, कमल जी<br />आप दोनों का आभार।<br />स्वनामधन्य प्रसाद, दद्दा, दादा, पंत, निराला, महादेवी, हरिऔध, नवीन आदि तथा अन्य स्वनामधन्य कवियों ने छंदों का प्रयोग यथावसर किया है. उन्हें पढ़कर हम अनजाने ही इन्हें अपनी रचनाओं में ले आते हैं किन्तु विधान न जानने के कारण शुद्धता नहीं होती। इस प्रयास का उद्देश्य विधान को सीखना ही है. मानस में अनेक छंद हैं किन्तु चौपाई तथा दोहा को छोड़कर शेष छंदों को छंद मात्र कहा गया है. यदि हर छंद का नाम दिया गया होता तो यह परंपरा हो जाती और तब ये छंद हमें अपरिचित नहीं लगते। sanjivnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-92042188298637367652014-05-10T07:50:40.864+05:302014-05-10T07:50:40.864+05:30sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
आ० आचार्य जी ,...sn Sharma द्वारा yahoogroups.com <br /> <br />आ० आचार्य जी ,<br />बहुत दीनो बाद मंच पर लौटा पा कर मन खुश हुआ ।<br />आपके बिना सूना लागता है ।<br />नये छंदों की श्रृंखला में अनेक ऐसे छंद भी पाये <br />जिनका प्रयोग ठोकिया पर उनके नाम से अपरिचित्त था ।<br />आज का प्रतिभा छंद भी ऊनमेँ से है ।<br />कमल s n sharma 'kamal'noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-30062624963641787492014-05-10T07:49:54.625+05:302014-05-10T07:49:54.625+05:30Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com
बहुत सुन्दर छ...Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com <br /> <br />बहुत सुन्दर छंद, आ० सलिल जी l<br />बधाई l<br />सादर,<br />कुसुमKusum Virnoreply@blogger.com