tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post5780913020833617149..comments2024-03-02T15:49:04.728+05:30Comments on दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada : vimarsh: ucharan truti, maryada, vishwas -sanjivDivya Narmadahttp://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-32533402597945333072014-09-23T09:40:43.759+05:302014-09-23T09:40:43.759+05:30नरेंद्र दत्त ने भी कभी कल्पना नहीं की थी कि उसे धर...नरेंद्र दत्त ने भी कभी कल्पना नहीं की थी कि उसे धर्म संसद में सनातन धर्म की प्रस्तुति का दायित्व निभाना होगा. अवसर मिलने पर भी २ बार उसने अपने स्थान पर अन्य वक्ता को अवसर दे दिया किन्तु अंतिम अवसर पर गुरु को स्मरण कर वह उठ खड़ा हुआ और इतिहास बदल दिया। <br />नरेंद्र मोदी ने भी चाय बेचते समय कल्पना तक न की थी कि कभी व्हाइट हाउस उसके स्वागत में पलक पांवड़े बिछाएगा। इन्हें भी कुछ अवसर गंवाने दीजिए.... समय ने इन्हें जहाँ पहुचाया है वहां इनसे कुछ सकारात्मक करा ही लेगा। आशा पर आकाश टंगा है.… <br />शिकागो में नरेंद्र को खुद फैसला लेना था, दिल्ली में अकेला नरेंद्र फैसला नहीं ले सकता, उसे नौकरशाहों की उस जमात से फैसले और काम करवाना है जो अपनी मक्कारी, धूर्तता और अहम के लिए सारी दुनिया में ख्यात (वि / कु अपनी रूचि नुसार जोड़ा जा सकता है) है. इसलिए विसंगतियां स्वाभाविक है. चर्चा का उद्देश्य विविध आयामों को सामने लेकर उन तक पहुँचाना ही है. sanjivnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-38434956623227245892014-09-23T09:39:47.898+05:302014-09-23T09:39:47.898+05:30
Indira Mital ibmital@gmail.com
कदापि नहीं, उद्घ...<br />Indira Mital ibmital@gmail.com <br /><br />कदापि नहीं, उद्घोषिका की सेवा समाप्त करना वैसे ही होगा जैसे <br />chop off the nose to spite the face. <br />सहानुभूति उद्घोषिका के साथ होनी चाहिए जिसे कदाचित बताया भी न गया <br />हो कि उच्चारण के विषय में हर शंका का समाधान कर लेने से उद्घोषणा अथवा <br />समाचार पाठ विश्व स्तर का हो सकता है. <br />हमारे समय में बोधवाक्य: बहुजन हिताय, भोजन सुखाय कंठस्थ रहता था. <br />याद कीजिये Melville de Mello, Roshan Menon, Renee Simon, उर्मिला <br />मिश्र, देवकी नंदन पांडे, अशोक बाजपेई और उन जैसे मँजे हुए लोग जिनका <br />उच्चारण सुन कर भूल सुधार किया जाता था. <br />आवाज़ों की आज assembly line production में और क्या अपेक्षा की जाये? <br />इंदिरा Indira Mital ibmital@gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-49739476399433955092014-09-23T09:39:03.630+05:302014-09-23T09:39:03.630+05:30Ghanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.com
मैं संजीव ज...Ghanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.com <br /> <br />मैं संजीव जी के विचारों से भी सहमत हूं और इंदिरा जी के विचारों से भी।<br /><br />क्या समाचार लिखनेवाले को चीनी लिपि में 'Xi 'के स्थान पर देवनागरी में 'शी' नहीं लिखना था? यदि इस तरह लिखा होता तो त्रुटि नहीं होती।<br />यह एक सामान्य मानवी त्रुटि है।<br />विदेशियों को सर-आँखों पर बैठने की हमारी लत अब भी सुधरी नहीं है. <br />कल्पना कीजिए की चीनी राष्ट्रपति को गुजरात के स्थान पर पूर्वोत्तर राज्यों में ले जाया गया होता<br /><br />श्री नरेन्द्र मोदी से फिलहाल यह अपेक्षा करना कठिन है कि वे अपने बौनेपन से शीघ्र छुटकारा पाकर स्वयं को राष्ट्रीय स्तर का नेता सिद्ध कर पायेंगे।<br />- घनश्यामGhanshyam Gupta gcgupta56@yahoo.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-2217012057339943952014-09-23T09:38:07.040+05:302014-09-23T09:38:07.040+05:30इंदिरा जी! क्या यह भूल इतनी गंभीर है कि इसके लिए उ...इंदिरा जी! क्या यह भूल इतनी गंभीर है कि इसके लिए उद्घोषिका की सेवा समाप्त कर दी जाए? क्या उसका स्पष्टीकरण प्राप्त कर भविष्य में भूल न दुहराने की चेतावनी देना ठीक न होता? प्रश्न भूल और दंड के अनुपात का है. सामान्यतः किसी अपराध और भूल में अंतर किया जाता है. विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रावधानों क पालन किये बिना धनद देना कितना न्यायोचित है?sanjivnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5874853459355966443.post-17815114965090775922014-09-23T09:37:40.969+05:302014-09-23T09:37:40.969+05:30Indira Mital ibmital@gmail.com
Xi को ग्यारह पढ़ने...Indira Mital ibmital@gmail.com<br /> <br />Xi को ग्यारह पढ़ने की भूल होती ही नहीं होती यदि चीनी दूतावास को फ़ोन करके <br />शब्द के बिलकुल सही उच्चारण की पुष्टि कर ली गयी होती. <br />आकाशवाणी/दूरदर्शन पर समाचार पढ़ने वाले और पत्रकार भी पहले ऐसा ही किया <br />करते थे. <br />इंदिराIndira Mital ibmital@gmail.comnoreply@blogger.com